रविवार, 19 फ़रवरी 2017

कलयुग में इंसानियत की मिशाल

समेजा कोठी।(सतवीर सिह मेहरा/संजय अग्रवाल/हरप्रीत सिह)वर्तमान में कहा जाता हैं की कलयुग हैं कौन किसका बनता हैं।लेकिन कलयुग में भी कही कही इंसान रहते हैं जी हा इसका उदाहरण गांव बाण्डा में देखने को मिला।बाण्डा गांव में एक ऐसा सख्स 15 वर्षों से रह रहा था जिसका परिवार में उसके सिवा कोई नही था।भेड़ बकरीया चराकर वह अपना जीवन व्यापन करता था।रहने के लिए स्वंय का मकान तक नही था ग्रामीणों की मेहरबानी से ही वह हर किसी के यहा रह लेता था।बीते दिन इस सख्स जिसका नाम नत्थुराम था का देहांत हो गया।देहांत होने के बाद उसकी अर्थी को कंधा देने वाला कोई नही था।इस इंसानीयत की घडी में सरपंच पत्ति कुलदीप इन्दलिया ने इनसानियत का खुब परिचय दिया।कुलदीप ने पंचों के व कुछ ग्रामीणों के सहयोग से न बल्कि मृतक नत्थुराम का दाह संस्कार करवाया अगले दिन पुरे गांव में अटूट लंगर ग्रामीणों को खिलवाया गया।सामाजिक सरोकार के लंगर में अमीर गरीब सबने बढ़चढ़कर हिस्सेदारी ली।कुलदीप इंदलिया ने आत्मिक शांति के लिए सत्संग भी करवाई गई।लंगर व सत्संग का सारा खर्चा कुलदीप इंदलिया जी ने व ग्रामीणों ने  उठाया।कलयुग में देवता बनकर आये कुलदीप इन्दलिया ने साबित कर दिया की इंसान अपने कर्मों से उन्नति व नाम कमाता हैं।इंसानियत की मिशाल चाहे कोई न देखे पर नत्थुराम की आत्मा जरूर देखती होगी।सामाजिक सरोकार का फर्ज निभाकर कुलदीप इन्दलिया ने हर आम खास के दिलों में जगह जरूर बना ली हैं।









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